तेरे बिन
ये दर्द जो सीने में बैठ गया है,
ये दिल जो बस तुम्हारे नाम भर से
एक बार को धड़कना बंद कर देता है |
ये आंखें जो आज भी इस काबिल हैं,
की तू नही है मगर तुझे देख लेती हैं |
जब मुझे लगता है कि ये सूख गई हैं,
तेरी यादों से खुद को भिगो लेती हैं |
मेरे हाथ जो तेरा एहसास नहीं भूले,
शायद आज भी तुझे छूने से डर जाएं।
मेरे कदम जो तेरे संग राहों पे चले
और बिन थके हर सफर पूरा कर लिया।
इंतज़ार में ठहरे रहे और भटकते रहे,
जब तक तू न आई सबर कर लिया।
ये मेरे ख्वाब जो सिर्फ तुम्हें चाहते हैं,
ज़ेहन जो एक तेरे ख्याल को छोड़
हर ख्याल पर सवाल करने लगता है।
तेरे बिना, मैं इनको किस काम में लाऊं
ये अब भी मेरे काम तो आते हैं मगर
इन्हें भी मुझसे जुदा होने की चाहत है
वैसे ही जैसे एक रोज़ तूम हो गई।
लेखक
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