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कच्चे धागों का पक्का बंधन

कच्चे धागों का पक्का बंधन


पतले पतले धागों में,

असीमित प्रेम समाया है।

बहन के रूप में ईश्वर ने,

माँ को बनाया है।


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बहन हर रिश्ते की सूरत है,

हर भाई को बहन की ज़रूरत है,

वो कभी लड़ती झगड़ती है,

तो कभी खूब रोती है,

लाख लड़ाइयाँ कर लूँ,

पर मेरे लिए वो खास है,

खुशनसीब हैं वो लोग,

बहन जिनके है।



चूड़ी वाले हाथों को भी ज़रूरत है,

प्रेम की, सम्मान की, स्वाभिमान की,

हर भाई, बहन की रक्षा नहीं करता,

जब बहन भाई की रक्षा करे,

इस बात को कोई नहीं कहता !!


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कच्चे धागों में प्रेम पिरोकर,

माथे पर तिलक लगाती है,

बहन की राखी से, भाई के कलाई की शोभा बढ़ जाती है,

जीवन में जब अंधेरा छाये

ज्योति बन उसे मिटाती है,

कभी माँ, कभी पिता,

तो कभी दोस्त बन जाती है,

बहन जब हमसे दूर होती है, तो हमें बहुत याद आती है।





कवि

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संजय

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