कुछ नहीं
न कोशिश किस्मत आज़माने की
न जरूरत है फिर दिल लगाने की
न ये चाहत कि तुमको भूल जाऊं
न है ख्वाहिश तुम्हे फिर पाने की
न मेरी हसरत मे है ख्वाब भी कोई
न तुम्हे इजाज़त है मुझे जगाने की
न हर दफा मनाया कर ए ज़िंदगी
न मेरी आदत छूटेगी रूठ जाने की
न मेरी आंखों से तेरी यादें बहती हैं
न मेरे लबों को आदत मुस्कुराने की
न शिकायत शिकस्त से रही मुझे
न खुशी किसी बुलंदी पर आने की
न काबिल ए नफ़रत पहचान मेरी
न चाहत मुझे किसीको चाहने की
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