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खेत खलिहान | Khet Khalihan

Updated: Apr 7, 2021

खेत खलिहान


हम हैं की तेरी तख़्त हैं,

हम थे की तेरा वक़्त हैं।


मत रख गुरुर ऐ ताज का,

कि हैं मुद्दा वतन-ए-नाज़ का।


ये दौर है धिक्कार का,

किसान है पुकारता।


बढ़े चलो, बढ़े चलो,

जो पथ मिले अधिकार का।


लेखक

पंकज


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